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पड़ोसी देशों से भी आते हैं बलरामपुर के इस देवी मंदिर में भक्तगण

Desk

उत्तर प्रदेश के बलरामपुर में स्थित देवीपाटन मन्दिर में वासंतिक नवरात्र मेले में मां पाटेश्वरी देवी के दर्शन पूजन के लिए देश के दूरदराज एवं पड़ोसी देश नेपाल से आये लाखों श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। यह मेला एक महीने तक चलता है। तुलसीपुर क्षेत्र के सिरिया नदी के तट पर स्थित मां पाटेश्वरी देवीपाटन मन्दिर में उत्तरप्रदेश के कई जिलों के अलावा मध्य प्रदेश और पडोसी देश नेपाल से देवीभक्तों का मां के दर्शन पूजन के आना जारी है। मान्यताओं के अनुसार, देवीपाटन मन्दिर में गर्भगृह से पाताल तक अतिप्राचीन सुरंग बनी हुई है। इस गर्भगृह के शीर्ष पर कई रत्नजड़ित छत्र और ताम्रपत्र पर दुर्गा सप्तशती अंकित है। इस मन्दिर की स्थापना के समय से ही‘अखण्ड ज्योति’प्रज्ज्वलित हो रही है। मन्दिर में मां पाटेश्वरी की भव्य प्रतिमा के साथ शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चन्द्रघण्टा, कुष्माण्डा, स्कन्दमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री की प्रतिमायें भी विराजमान हैं। इन दिनों यहां श्रद्धालु यज्ञोपवीत संस्कार एवं मुण्डन संस्कार, पूजन, हवन आदि कार्य सम्पन्न करा रहे हैं। भक्तजन मनोकामना पूर्ति की प्रार्थना के साथ सूर्यकुण्ड में स्नान कर पेट के बल चलकर मां पाटेश्वरी का दर्शन कर रहे हैं। देवीपाटन में पाटेश्वरी का उल्लेख स्कन्द तालिका, देवीभागवत, शिवचरित, तांत्रिक ग्रन्थ और महापुरोणों में किया गया है। पुराणों के अनुसार दक्ष प्रजापति द्वारा महादेव को यज्ञ में स्थान नहीं देने से क्षुब्ध सती ने ने यज्ञ की ज्वाला में अपने प्राणों की आहुति दे दी। इससे क्रोधित होकर भगवान शंकर ने सती के मृत शरीर को कंधों पर लिए ताण्डव नृत्य करने लगे। महादेव के प्रकोप से उत्पन्न व्यवधान से संसार को बचाने के लिए भगवान विष्णु ने मां सती के शव को सुदर्शन चक्र से कई खण्डों में विच्छेदित कर दिया था। तब बायां स्कन्द पाटम्बर समेत देवीपाटन मन्दिर वाले स्थान पर आ गिरा और उसी समय से देवीपाटन पाटेश्वरी मन्दिर के नाम से जाना जाने लगा। त्रेतायुग में मां जानकी का पातालगमन भी देवीपाटन में ही हुआ था। किवदंतियों के अनुसार, उस समय की सुरंग यहां आज भी मन्दिर के गर्भगृह में स्थित है। सूर्यकुण्ड की मान्यताओं के अनुसार, महाभारत काल में सूर्यपुत्र महारथी कर्ण ने इसी कुण्ड में स्नान कर भगवान परशुराम से शिक्षा ग्रहण की थी। नवरात्र के दिनों में श्रद्धालु मां पाटेश्वरी को विशेष रुप से‘रोट’का प्रसाद चढ़ाते हैं। मंदिर परिसर में प्रसाद, खानपान, सिंगार, खिलौनों आदि की दुकानें सजी हुई हैं। नेपाल से सटे होने के कारण अति संवेदनशील होने के साथ ही महत्वपूर्ण देवीपाटन मंदिर पर माओवादियों, राष्ट्र विरोधी ताकतों, एवं शरारती तत्वों के नापाक मंसूबों से निपटने के लिए नागरिक पुलिस की विशेष टुकडियां, मेटल डिटेक्टर, डाक स्क्वॉयड, अग्निशमन दल, बम निरोधक दस्त की तैनाती के साथ मन्दिर की सुरक्षा में पीएसी, सशस्त्र सीमा बल एवं अन्य सुरक्षा एजेंसियों की मदद ली जा रही है। इसके अलावा मेले में पल-पल की निगरानी के लिए सीसीटीवी कैमरे लगाये गये हैं। मेले में आने-जाने वाले श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए रेलगाड़ियों और बसों की विशेष व्यवस्था की गयी है।

Report :- Desk
Posted Date :- 20/07/2016