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संसद में गरजे मनमोहन सिंह, नोटबंदी को बताया कानूनी लूट खसोट का मामला

Desk

नोटबंदी के फैसले के बाद विपक्ष के सड़क और संसद, दोनों जगह विपक्ष का विरोध झेल रही केंद्र सरकार को अब पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने आड़े हाथों लिया है। अपने शासन काल में खामोशी के लिए निंदा झेलने वाले मनमोहन बृहस्पतिवार को राज्यसभा में जमकर बरसे। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि जिस तरह से इसे लागू किया गया है, वह ‘प्रबंधन की विशाल असफलता’ है और यह संगठित एवं कानूनी लूट-खसोट का मामला है। मनमोहन ने पीएम मोदी की मौजूदगी में कहा कि इस फैसले से सकल घरेलू उत्पाद में दो फीसदी की कमी आएगी जबकि इसे नजरअंदाज किया जा रहा है। गौरतलब है कि सिंह प्रख्यात अर्थशास्त्री हैं और भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर भी रह चुके हैं।
पूर्व प्रधानमंत्री ने उम्मीद जताई कि प्रधानमंत्री एक व्यावहारिक, रचनात्मक एवं तथ्यपरक समाधान निकालेंगे जिससे आम आदमी को नोटबंदी के फैसले से पैदा हालात के चलते हो रही परेशानी से राहत मिल सके। उन्होंने कहा कि जो हालात हैं, उनमें आम लोग बेहद निराश हैं। कृषि, असंगठित क्षेत्र और लघु उद्योग नोटबंदी के फैसले से बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। इन हालत में उन्हें लग रहा है कि जिस तरह योजना लागू की गई, वह प्रबंधन की विशाल असफलता है। 
सिंह ने कहा कि उनका इरादा किसी की भी खामियां बताने का नहीं है। लेकिन उम्मीद है कि देर से ही सही, प्रधानमंत्री समाधान खोजने में हमारी मदद करेंगे ताकि इस देश के आम आदमी को हो रही परेशानियों से राहत मिल सके। पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा कि इस फैसले का अंतिम परिणाम क्या होगा, इसके बारे में कोई नहीं जानता लेकिन प्रधानमंत्री ने 50 दिन तक इंतजार करने के लिए कहा है। वैसे यह समय बहुत कम है लेकिन गरीबों और समाज के वंचित वर्गों के लिए 50 दिन किसी प्रताड़ना से कम नहीं हैं। अब तक तो करीब 60 से 65 लोगों की जान जा चुकी है। शायद यह आंकड़ा बढ़ भी जाए। 
मनमोहन ने हर दिन नए निर्देश जारी करने और लोगों द्वारा रुपये निकालने के लिए आए दिन नियमों में शर्तों के साथ बदलाव करने के लिए सरकार की आलोचना की। इसके पहले बृहस्पतिवार को प्रधानमंत्री के सदन में आने पर विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि प्रश्नकाल चलाने के बजाय चर्चा आगे बढ़ाई जानी चाहिए क्योंकि प्रधानमंत्री सदन में मौजूद हैं। सरकार ने आजाद का आग्रह स्वीकार कर लिया और सदन के नेता तथा वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि चर्चा तत्काल बहाल की जानी चाहिए और प्रधानमंत्री निश्चित रूप से इसमें हिस्सा लेंगे।

मनमोहन के तीर
- पीएम दुनिया के उन देशों के नाम बताएं जहां लोग अपना पैसा बैंक में जमा करते हैं और उन्हें अपना ही पैसा निकालने की अनुमति नहीं दी जाती। 
- मेरे विचार से, यही बात उसकी निंदा करने के लिए पर्याप्त है जो बड़े विकास के नाम पर की गई है। 
- जिस तरह नोटबंदी लागू की गई है उससे हमारे देश का कृषि विकास, लघु उद्योग, अर्थव्यवस्था और अनौपचारिक क्षेत्रों में काम करने वाले लोग प्रभावित होंगे।
- लोगों का मुद्रा एवं बैंकिंग व्यवस्था से विश्वास खत्म हो रहा है।
- हमारे देश के 90 फीसदी लोग अनौपचारिक क्षेत्र में और 55 फीसदी लोग कृषि से जुड़े हैं जो खुद को हताश महसूस कर रहे हैं। मैं प्रधानमंत्री से व्यावहारिक और तथ्यपरक तरीके तथा समाधान         खोजने का आग्रह करता हूं ताकि इस कदम से परेशान लोगों को राहत मिल सके। ऐसे लोग इस देश की बड़ी आबादी हैं। 

Report :- Desk
Posted Date :- 25/11/2016