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दिल्ली में प्रदुषण फ़ैलाने वाली इकाई बंद हो

Desk

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में फर्नेस ऑयल और पेट कोक जैसे सल्फर युक्त ईंधन के प्रयोग से 'भारी मात्रा' में प्रदूषण हो रहा है और इसपर तुरंत कार्रवाई करने की जरूरत है। सुप्रीम कोर्ट की ओर से नियुक्त इन्वाइरनमेंट पल्यूशन (कंट्रोल ऐंड प्रिवेंशन) अथॉरिटी यानी EPCA ने यह बात कही है। पैनल का कहना है कि किसी भी तेल शोधक संयंत्र में बॉटम आफ द बैरल उत्पाद 'फर्नेस ऑयल' होता है जबकि पेट कोक तेल शोधन के समय बनने वाला उप-उत्पाद है। इन दोनों की बिक्री में हाल के दिनों में बहुत तेजी आई है, संभवत: वैश्विक बाजार में तेल की कीमत में उछाल आने के कारण ऐसा हो रहा है।
EPCA ने 1996 की अधिसूचना में संशोधन की सिफारिश की है। इस अधिसूचना में दिल्ली के भीतर इन ईंधनों के प्रयोग पर प्रतिबंध लगाया गया है, जबकि एनसीआर में उनके उपयोग पर छूट है। यह बताते हुए कि फिलहाल स्थिति बहुत ही खराब है, EPCA ने सिफारिश की है कि क्षेत्र में मौजूद राज्यों को स्वच्छ ईंधन को बढ़ावा देने के लिए उद्योगों को प्रोत्साहित करना चाहिए।
एनसीआर में इस्तेमाल हो रहे ईंधन की गुणवत्ता पर ईपीसीए की जांच रिपोर्ट के अनुसार, 'सरकारें फर्नेस ऑयल पर कर में छूट देती हैं, वहीं उत्तर प्रदेश सरकार इसपर वैट नहीं लेती है... जबकि प्राकृतिक गैस पर कर लगता है। उत्तर प्रदेश में स्वच्छ प्राकृतिक गैस पर 10 प्रतिशत वैट लगता है। अन्य राज्यों में भी स्थिति कमोबेश यही है।' रिपोर्ट के अनुसार, पिछले वर्ष एनसीआर में हर महीने करीब 30,000 मिट्रिक टन फर्नेस ऑयल बिका है।

Report :- Desk
Posted Date :- 04/12/2016