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हत्या के जुर्म में तिहाड़ में बंद गैंगस्टर से नेता बने शहाबुद्दीन को हाई कोर्ट का सुझाव, सिवान के बजाय दिल्ली में परिवार से मिलें

Ashok Gupta

हत्या के जुर्म में तिहाड़ में बंद गैंगस्टर से नेता बने शहाबुद्दीन को हाई कोर्ट का सुझाव, सिवान के बजाय दिल्ली में परिवार से मिलें
Ashok gupta| Delhi Live News| Updated: ⁴4 Nov 2020, 09:32:00 PM1_5
Shahabuddin wants custody parole: पिता की मौत के बाद अपनी बीमार मां के साथ समय बिताने के लिए कस्टडी पैरोल  की शहाबुद्दीन की मांग पर दिल्ली हाई कोर्ट ने उन्हें दिल्ली में ही अपने परिवार को बुलाकर मुलाकात का सुझाव दिया है। हाई कोर्ट ने कहा कि न तो दिल्ली सरकार और न ही बिहार सरकार सुरक्षा का भरोसा दे रही हैं।
    
High light:
शहाबुद्दीन ने पिता की मौत के बाद बीमार मां के साथ समय बिताने के लिए कस्टडी परोल मांगी है
गैंगस्टर से नेता बने आरजेडी के पूर्व सांसद अभी हत्या के जुर्म में तिहाड़ जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं.... 
दिल्ली हाई कोर्ट ने शहाबुद्दीन को सुझाव दिया है कि वह सिवान के बजाय दिल्ली में परिवार को बुलाकर मुलाकात करें..... 
दरअसल न ही दिल्ली सरकार और न ही बिहार पुलिस ने कस्टडी परोल के दौरान शहाबुद्दीन की सुरक्षा का आश्वासन दिया है

नई दिल्ली
जेल में बंद पूर्व सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन के लिए सुरक्षा आश्वासन देने में दिल्ली सरकार और बिहार पुलिस की अनिच्छा के बीच दिल्ली हाई कोर्ट ने मंगलवार को सुझाव दिया कि वह अपने परिवार को दिल्ली बुलाकर भेंट कर सकते हैं। गैंगस्टर से नेता बने शहाबुद्दीन तिहाड़ जेल में बंद हैं और वह अपने घर सिवान जाना चाहते थे। सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के पूर्व सांसद शहाबुद्दीन को 2018 में बिहार की सिवान जेल से दिल्ली की तिहाड़ जेल भेज दिया था।
हत्या के एक मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे शहाबुद्दीन ने सिवान जाने के लिए इस आधार पर ‘कस्टडी परोल’ मांगी थी कि उनके पिता का 19 सितंबर को निधन हो गया और वह अपनी मां के साथ समय बिताना चाहते हैं, जो अस्वस्थ हैं।
दिल्ली और बिहार सरकारों के वकीलों ने ‘कस्टडी परोल’ की स्थिति में भी शहाबुद्दीन की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए जस्टिस ए. जे. भंभानी के सामने जरूरी आवश्यकताओं का जिक्र किया।

दिल्ली सरकार के अतिरिक्त स्थायी वकील संजय लाव ने कहा कि बिहार में कैदी की सुरक्षा के लिए दिल्ली पुलिस को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता। उन्होंने कहा कि उन्हें बिहार ले जाना मुश्किल होगा क्योंकि उनके साथ जाने के लिए पुलिस की एक पूरी बटालियन की जरूरत होगी और कोविड-19 महामारी के कारण ट्रेनें भी सामान्य रूप से नहीं चल रही हैं।

बिहार की ओर से पेश वकील केशव मोहन ने कहा कि शहाबुद्दीन को दिल्ली की तिहाड़ जेल में रखा गया है और दिल्ली को उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि राहत दिए जाने की स्थिति में जरूरी व्यवस्थाओं के बारे में बताते हुए वह एक नया हलफनामा दायर करेंगे।

सुनवाई के दौरान जस्टिस भंभानी ने कहा, 'अदालत कैदी को परिवार में शोक जैसी स्थिति में ‘कस्टडी परोल’ देने पर विचार कर सकती है। लेकिन यहां मुद्दा यह है कि बिहार और दिल्ली सरकार दोनों मुझे यह सुरक्षा सुनिश्चित नहीं कर रहे हैं।'


अदालत ने कहा, 'वे यह सुनिश्चित करने के इच्छुक नहीं हैं कि वह उनकी हिरासत में सुरक्षित रहेगा। धमकी का तत्व वही है, आप 6 घंटे के लिए कस्टडी परोल में जाएं या अधिक समय के लिए। क्यों नहीं आपका परिवार दिल्ली आकर आपसे मिल लेता है। दिल्ली में आपको एक अलग जगह दी जाएगी जहां आप अपने परिवार से मिल सकते हैं।'

शहाबुद्दीन की ओर से पेश वरिष्ठ वकील सलमान खुर्शीद ने कहा कि बिहार सरकार एक हलफनामे में कहे कि वे उनकी देखरेख और रक्षा नहीं कर सकती है। इसके बाद वह अदालत की तरफ से सुझाए गए विकल्प पर विचार करेंगे।

शहाबुद्दीन को ‘हिस्ट्रीशीटर टाइप ए’ या सुधार से परे घोषित किया गया था। वह दो बार विधानसभा के और 4 बार संसद सदस्य रह  चुका हैं। और अब आजीवन कारावास की सजा काट रहा है

Report :- Ashok Gupta
Posted Date :- 07-11-2020

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