राजनिती

तीन दिन तक 6 घंटे जेल के बाहर रह सकेगा शहाबुद्दीन, कोर्ट ने कस्टडी पैरोल देते समय रखीं दो शर्त..... रिपोर्ट अशोक गुप्ता
तीन दिन तक 6 घंटे जेल के बाहर रह सकेगा शहाबुद्दीन, कोर्ट ने कस्टडी पैरोल देते समय रखीं दो शर्त.....
बिहार के बाहुबली नेता मोहम्मद शहाबुद्दीन को दिल्ली हाई कोर्ट से सशर्त पैरोल की छूट मिली है।...
Publish Date: 03 Dec 2020 11:00 A.M :
नई दिल्ली, अशोक गुप्ता।
मोहम्मद शहाबुद्दीन : बिहार के सिवान में दो सगे भाइयों की तेजाब से नहला कर निर्मम हत्या के मामले में तिहाड़ जेल में बंद बिहार के बाहुबली व पूर्व सांसद मोo शहाबुद्दीन को दिल्ली हाई कोर्ट ने छह घंटे की सशर्त कस्टडी पैरोल की अनुमति दे दी है। न्यायमूर्ति एजे भंभानी की पीठ ने किसी भी तीन दिन में छह-छह घंटे की कस्टडी पैरोल की अनुमति देते हुए पर्याप्त सुरक्षा इंतजाम के निर्देश दिए। पीठ ने स्पष्ट किया कि कस्टडी पैरोल के लिए शहाबुद्दीन को मुलाकात के लिए दिल्ली में ही एक स्थान की जानकारी पहले ही जेल अधीक्षक को देनी होगा। जिस पर कोर्ट और प्रशासन की पैनी नजर रहेगी l
पीठ ने कहा कि उक्त स्थान का सत्यापन करने के साथ ही राज्य पुलिस वहां पर्याप्त सुरक्षा इंतजाम करेगी। 19 सितंबर को पिता की मौत होने और मां के बीमार होने के आधार पर शहाबुद्दीन ने कस्टडी पैरोल की मांगी थी।
कोर्ट ने कहा कि शहाबुद्दीन 30 दिन के भीतर अपनी इच्छा के अनुरूप कोई भी तीन तारीख चुन सकता है और उसे सुबह छह बजे से शाम चार बजे के बीच छह घंटे के लिए मुलाकात करने की अनुमति होगी। इन छह घंटों में यात्रा समय भी शामिल होगा। न्यायमूर्ति एजे भंभानी की पीठ ने एक बात और साफ शब्दों में कहा कि याचिककर्ता इस दौरान अपनी मां, पत्नी व अन्य रिश्तेदारों के अलावा किसी से भी मुलाकात नहीं कर सकेगा।
शहाबुद्दीन पर हत्या व अपहरण सहित दर्जनों संगीन मामलों में मुकदमा दर्ज है। फिलहाल सिवान में दो सगे भाइयों को तेजाब से नहला कर निर्मम हत्या के मामले में तिहाड़ जेल में उम्रकैद की सजा काट रहा है। माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर शहाबुद्दीन को साल 2018 में बिहार की सिवान जेल से दिल्ली की तिहाड़ जेल में स्थानांतरित किया गया था।
शहाबुद्दीन की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता सलमान खुर्शीद ने पीठ से कहा था कि 19 सितंबर को याचिकाकर्ता के पिता का निधन हो गया था और इसके बाद से ही उसकी मां बीमार चल रही हैं। वह उनके साथ समय बिताना चाहता है। ऐसे में उसे कस्टडी पैरोल दी जाए। उन्होंने जेल मैनुअल का हवाला देते हुए कहा था कि परिवार के किसी सदस्य की मृत्यु होने पर कस्टडी पैरोल दिए जाने का प्रावधान है। इस पर दिल्ली सरकार की तरफ से पेश हुए वकील संजय लाव ने पीठ से कहा था कि बिहार में शहाबुद्दीन की सुरक्षा के लिए दिल्ली पुलिस जिम्मेदार नहीं हो सकती है। शहाबुद्दीन को कोरोना काल में सिवान ले जाना भी मुश्किल है। फिलहाल ट्रेनों का परिचालन समान्य नहीं है। शहाबुद्दीन को ले जाने के लिए पुलिस की पूरी एक बटालियन भेजनी होगी।
वहीं, बिहार सरकार ने भी कहा था कि शहाबुद्दीन तिहाड़ जेल में हैं इसलिए उनकी सुरक्षा दिल्ली सरकार व पुलिस को सुनिश्चित करनी चाहिए। वहीं, यह भी कहा कि शहाबुद्दीन की कस्टडी पैरोल की याचिका पर दस नवंबर को विधानसभा चुनाव समाप्त होने के बाद विचार किया जाना चाहिए। सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा था कि पिता की मौत व बीमार मां की स्थिति को देखते हुए कस्टडी पैरोल देने पर विचार किया जा सकता है, लेकिन बिहार और दिल्ली सरकार यह सुनिश्चित नहीं कर पा रही है कि उनकी हिरासत में शहाबुद्दीन सुरक्षित रहेगा। मतलब साफ है कि दिल्ली पुलिस हो या बिहार पुलिस दोनों ही शहाबुद्दीन की सुरक्षा की जिम्मेदारी नहीं ले रहे हैं..इस पर पीठ ने सुझाव दिया था कि शहाबुद्दीन का परिवार ही दिल्ली आकर उससे मुलाकात करे।
रिपोर्ट अशोक गुप्ता🖋️🖋️
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