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अमिताभ बच्चन की ‘मिठास’ में ‘कड़वाहट’

Desk

सदी के महानायक अमिताभ बच्चन की फेवरेट डिश की मिठास पर अब नोट बंदी की ‘कड़वाहट’ दिखने लगी है। सऊदी अरब, पाकिस्तान और अमेरिका से लेकर फिल्म स्टार अमिताभ बच्चन के घर को महकाने वाला बुंदेलखंड का सोहन हलुआ अब बिक्री की कमी झेल रहा है। सोहन हलुआ की बिक्री घटकर एक तिहाई रह गई है। नोटबंदी के पहले सात क्विंटल प्रतिदिन बिकने वाला सोहन हलुआ अब दो क्विंटल की बिक्री पर सिमट गया है। नोटबंदी की मार बुंदेलखंड के ‘मीठे कारोबार’ पर भी पड़ी है। सोहन हलुआ की शुरुआत बांदा शहर में 1922 में तत्कालीन हलवाई बोड़ेराम ने की थी। आज भी उनकी तीसरी पीढ़ी इस मिठाई के जरिये बोड़ेराम का नाम जिंदा रखे है। सोहन हलुआ सऊदी अरब, पाकिस्तान और अमेरिका तक भेजा जाता है। फिल्म स्टार अमिताभ बच्चन के मुंबई स्थित घर भी अक्सर बुंदेली सोहन हलुआ भेजा जाता है। अमिताभ की मामी की ससुराल बांदा में है। उनके खानदानी अक्सर सोहन हलुआ मुंबई तक पहुंचाते हैं। 
नोटबंदी के पूर्व यहां सोहन हलुआ का कारोबार रोजाना सात क्विंटल का था। अब यह सिमटकर दो से ढाई क्विंटल पर आ गया है। सोहन हलुआ व्यवसायी रामकिशुन बासु और इंदु गुप्ता ने बताया नोटबंदी से पूर्व तमाम ग्राहक पांच से 10 किलो तक सोहन हलुआ ले जाते थे। इनमें ज्यादातर बाहरी लोग होते थे। अब करेंसी की किल्लत से बिक्री कम हो गई है। किलो-दो किलो से ज्यादा कोई नहीं खरीद रहा। शुद्ध देशी घी के सोहन हलुआ के भाव 440 रुपये प्रति किलो हैं, जबकि डालडा से बनने वाला सोहन हलुआ 160 रुपये किलो में मिल जाता है। डालडा से सोहन हलुआ तैयार करने वाले गिरधारी लाल (मुचियाना) और अनिल कुमार (खुटला) ने बताया कि नोटबंदी के बाद उनका कारोबार औंधे मुंह गिरा है। कारीगरों की मजदूरी भी नहीं निकल रही। 
अंकुरित कठिया गेहूं से हफ्ते भर में बनता है हलुआ
सोहन हलुआ तैयार करने में करीब एक सप्ताह लगता है। कठिया गेहूं को पानी में भिगाकर अंकुरित करने के बाद सुखाया जाता है। इसे कूटकर पानी में भिगोया जाता है। दूसरे दिन मैदा डालकर गाढ़ा पेस्ट तैयार किया जाता है। घी के साथ इसकी कढ़ाव में घंटों घुटाई होती है। कत्थई रंग आ जाने और पेस्ट के पर्याप्त ढंग से घुट जाने के बाद छोटी कटोरियों में इसे भरकर जमा दिया जाता है। ऊपर काजू, बादाम आदि मेवा के टुकड़े डाल दिए जाते हैं।

Report :- Desk
Posted Date :- 16/12/2016

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